ट्रांस हिमालय क्षेत्र
- यह युरेशियन पट्टे का हिस्सा है। इसका अधिकांश भाग तिब्बत में है, इसलिए इसे तिब्बती हिमालय / ट्रांस हिमालय भी कहा जाता है।
- यह पर्वतमालाओं का समूह है।
- यह युरेशियन से लेकर कराकोरम तक की चट्टानों पाई जाती हैं।
- ग्रेट हिमालय, बृहत हिमालय से सरख जोन या हिंगु लाइन द्वारा अलग होता है।
- द्वितीय हिमालय का निर्माण अवसादी चट्टानों से हुआ है।
इस क्षेत्र को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है –
- कराकोरम श्रेणी
- लद्दाख श्रेणी
- जास्कर श्रेणी
1. कराकोरम श्रेणी
- यह भारत की सबसे ऊँची पर्वत श्रेणी है।
- कराकोरम की दुगा घाटी में ही शिखरावल स्थित है।
- विश्व का दूसरा सबसे ऊँचा के–2 (गौडविन ऑस्टिन – 8611 मी.) कराकोरम श्रेणी की प्रमुख चोटी है, K-4, K-5 (गैशरब्रुम) अन्य प्रमुख चोटियाँ हैं।
कराकोरम श्रेणी के प्रमुख ग्लेशियर –
- सियाचिन ग्लेशियर – 72 किमी.
- बिइफोंड ग्लेशियर – 63 किमी.
- बाल्टोरो ग्लेशियर – 62 किमी.
- हिस्पर ग्लेशियर – 61 किमी.
कराकोरम श्रेणी पर्वत की घाटी के हिमद्रव से जनित दक्षिण पश्चिम की ओर वह के–केला श्रेणी तक विकसित है।
2. लद्दाख श्रेणी
- यह कराकोरम के दक्षिण में स्थित है।
- इस श्रेणी का पूर्वी भाग कैलास श्रेणी है।
- विश्व की सबसे बड़ी खाल वाली छोटी चोटी चांगचेनमो (लद्दाख श्रेणी की सबसे ऊँची चोटी) इसी श्रेणी में स्थित है।
3. जास्कर श्रेणी
- यह लद्दाख के दक्षिण एवं महान हिमालय के उत्तर में स्थित है।