लघु या मध्य हिमालय
- इस हिमालय श्रेणी को पहाड़ी क्षेत्र कहते हैं।
- विस्तार – मुख्य हिमालय के दक्षिण में
- चौड़ाई – 80 से 100 किमी।
- औसत ऊँचाई – 3700 से 4500 मीटर।
- इस श्रेणी की पर्वत ढालें संकरी एवं खड़ी–खड़ी शृंखलाएँ प्रदर्शित करती हैं। इसी क्षेत्र में शिमला, मसूरी, नानताल, रानीखेत आदि प्रसिद्ध हैं।
नोट:
तुलनात्मक शीतोष्ण घाटियों के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है।
तुलनात्मक शीतोष्ण घाटियों के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है।
प्रमुख घाटियाँ: कश्मीर घाटी, कांगड़ा घाटी, कुल्लू घाटी, कटारमांचल घाटियाँ
लघु हिमालय को पश्चिम से पूर्व तक तीन श्रेणियों में बाँटा गया है –
1. पीर पंजाल श्रेणी
- इसका विस्तार जम्मू–कश्मीर, हिमाचल एवं उत्तराखंड में है।
- सबसे लंबी एवं महत्वपूर्ण श्रेणी।
- कश्मीर घाटी एवं जम्मू के बीच अवस्थित।
- पीर पंजाल की प्रसिद्ध घाटियाँ – बानिहाल दर्रा, शोनमर्ग घाटी
- बानिहाल दर्रे से जम्मू को कश्मीर से जोड़ा जाता है।
नोट:
1. जवाहर सुरंग – बानिहाल दर्रे के नीचे NH44 पर स्थित सुरंग।
2. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सुरंग – जम्मू एवं कश्मीर में स्थित।
3. रोहतांग सुरंग – हिमाचल राज्य में लाहौल–स्पीति को जोड़ती है।
4. अटल सुरंग – मनाली–लेह मार्ग पर स्थित विश्व की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग (9.02 किमी)।
1. जवाहर सुरंग – बानिहाल दर्रे के नीचे NH44 पर स्थित सुरंग।
2. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सुरंग – जम्मू एवं कश्मीर में स्थित।
3. रोहतांग सुरंग – हिमाचल राज्य में लाहौल–स्पीति को जोड़ती है।
4. अटल सुरंग – मनाली–लेह मार्ग पर स्थित विश्व की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग (9.02 किमी)।
2. धौलाधार श्रेणी
- इसका विस्तार जम्मू–कश्मीर, हिमाचल एवं उत्तराखंड में है।
- धौलाधार पर्वत श्रेणी की औसत ऊँचाई 4550 मीटर है।
3. नागालिका श्रेणी
- इसका विस्तार नेपाल में है।
महासातु श्रेणी
- इसका विस्तार नेपाल में है।
- लघु हिमालय और बृहत हिमालय के बीच घाटियों का विकास हुआ है –
- 1. कुमाऊँ घाटी
- 2. कांगड़ा घाटी
नोट:
कश्मीर घाटी तथा कांगड़ा घाटी की रचना झीलों के निम्नीकरण से हुई है।
कश्मीर घाटी तथा कांगड़ा घाटी की रचना झीलों के निम्नीकरण से हुई है।